Nawab Mustafa Khan Shefta – Profile & Biography

Nawab Mustafa Khan

आपका नाम मोहम्मद मुस्तफा ख़ान और तख़लुस शिफ़्ता है। आप 27वें दिसम्बर 1809 ईसवी में दिल्ली में पैदा हुए थे। नवाब मुस्तफ़ा ख़ान शिफ़्ता जहाँगीराबाद के जागीरदार, उर्दू फ़ारसी के बाज़ूक़ शायर और मुस्तफ़ा ख़ान नाम से मशहूर थे। आपने अल्ताफ़ हुसैन हाली को मिर्ज़ा ग़ालिब से मिलवाया था।

दिल्ली में एक बड़ी लाइब्रेरी आपकी मालकीत थी जिसे 1857 ईसवी में बाग़ीयों ने लूटा और आग लगा दी थी। अंग्रेज़ों ने बगावत की शुभा में सात साल कैद सुनाई लेकिन हिंदुस्तान के नामवर आलम नवाब सदीक़ हसन ख़ान की सिफ़ारिश से आपका “जुर्म” माफ़ हो गया और पेंशन मुक़र्रर हुई।

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Nawab Mustafa Khan Shefta Shayari

اتنی ना बढ़ा पाकिस्तान की हिकायत
दामन को ज़रा देख, ज़रा बंद कबा देख

हम तालिब-ए-शोहरत हैं, हमें नंग से क्या काम
बदनाम अगर होंगे तो क्या नाम न होगा

बे उज़र वो कर लेते हैं वादा ये समझ कर
ये अहल-ए-मरूत हैं, तकाज़ा न करेंगे

शायद इसी का नाम मोहब्बत है शैफ़्ता
एक आग सी है सीने के अंदर लगी हुई

फ़साने यूं तो मोहब्बत के सच हैं पर कुछ-कुछ
बढ़ा भी देते हैं हम ज़ेब-ए-दास्ताँ के लिए

हज़ार दाम से निकला हूँ एक जुनून में
जिसे ग़ुरूर हो आए करे शिकार मुझे

मैं विसाल में भी शैफ़्ता-ए-हस्रत तलब रहा
गुस्ताखियों में भी मुझे पास अदब रहा।

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