Fariduddin Javed – Profile & Biography

fariduddin javed

फरीद उद दीन का नाम था और उनका तख़ल्लुस जावेद था। उनका जन्म 18 अप्रैल 1928 को सहारनपुर में हुआ था। पाकिस्तान के बाद उनका परिवार कराची में चला गया। उन्होंने अपनी एम ए डिग्री हासिल की और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। छात्र जीवन में उन्हें शायरी से एक वाकिफ मनोबल रहा।

स्वास्थ्य की खराबी और पैसों की कमी के कारण, फरीद उद दीन बहुत परेशान रहे। उनका निधन 27 दिसंबर 1977 को कराची में हो गया। उनकी शायरी का संग्रह “सिलसिला तकल्लुम का” है, जो उनके निधन के बाद उनके श्रद्धालुओं और शायरी के प्रशंसकों की प्रेरणा से प्रकाशित हुआ।

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fariduddin Javed shayari

यह दियार-ए-शौक है हम नशीन यहाँ,
लग्ज़िशों में भी हुस्न है।

जो मिटे वो और उभर गए,
जो गिरे वो और संभल गए।

अभी मकान में, अभी सोए लमकान हूँ मैं,
तेरे ख़याल, तेरी धन में हूँ जहाँ हूँ मैं।

गुफ्तगू किसी से हो तेरा ध्यान रहता है,
तूट तूट जाता है सिलसिला तकल्लुम का।

पहुंच के हम सर-ए-मंज़िल जिन्हें भला ना सके,
वोह हम सफर थे जो कुछ दूर साथ आ ना सके।

हमें भी अपनी तबाही पे रंज होता है,
हमारे हाल परेशान पे मुस्कुराओ नहीं।

ना बुत कदे, ना काबे में सर झुकाने से,
सुकून मिला है तेरी अंजुमन में आने से।

ना ग़ुरूर है ख़ुर्द को, ना जुनून में बाँकपन है,
यह मिज़ाज-ए-ज़िंदगी तो बड़ा होसला-शिकन है।

नशगुफ्तेह कलियों में शौक है तबस्सुम का,
बार सह नहीं सकते देर तक तलातम का।

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